बंगाली समाज द्वारा अष्टमी पूजन की भव्यता आस्था, परंपरा और माँ दुर्गा की महिमा
- DIVYA MOHAN MEHRA
- 01 Oct, 2025
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बीकानेर। नवरात्र महोत्सव का सबसे महत्वपूर्ण दिन महाष्टमी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। बंगाली समाज द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा पंडाल में आज अष्टमी पूजन की विशेष भव्यता देखने को मिली। माँ दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा और वातावरण "जय माता दी" के जयकारों से गूंज उठा।
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अष्टमी पूजन का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, महाष्टमी का दिन माँ दुर्गा के ‘महिषासुर मर्दिनी’ रूप की पूजा के लिए समर्पित है। यह वही दिन है जब माँ ने असुरों का संहार कर धर्म और सत्य की विजय सुनिश्चित की थी। इसी कारण महाष्टमी पर विशेष कुमारी पूजन और हवन का आयोजन होता है। बंगाली परंपरा में इस दिन पुष्पांजलि, धुनुची नृत्य और संधि पूजा का विशेष स्थान है।
इतिहास और परंपरा
दुर्गा पूजा का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है। बंगाल से आरंभ हुई यह परंपरा आज देश के कोने-कोने में मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र के दौरान माँ दुर्गा अपने मायके पृथ्वी लोक आती हैं और अपने भक्तों के साथ समय बिताती हैं। इसीलिए अष्टमी और नवमी के दिन भव्य पूजा और उत्सव मनाया जाता है।
बीकानेर में आयोजन
बीकानेर के बंगाली समाज द्वारा सजाए गए दुर्गा पंडाल में परंपरागत विधि-विधान के साथ पूजा की गई। पंडाल को रंग-बिरंगे फूलों और दीपों से सजाया गया, वहीं ढाक की धुन और शंखनाद से माहौल और भी भक्तिमय हो उठा। महिलाएँ पारंपरिक लाल-सफेद साड़ियों में सजी-धजी नजर आईं और युवाओं ने पारंपरिक धुनुची नृत्य प्रस्तुत किया।
भक्तों की श्रद्धा और अनुभव
माँ दुर्गा की आराधना में शामिल हुए भक्तों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। (यहाँ आप अपने इंटरव्यू जोड़ सकते हैं—जैसे किसी ने कहा कि “माँ की पूजा से मन को शांति और शक्ति मिलती है”, तो किसी ने अनुभव साझा किया कि “अष्टमी का दिन मेरे लिए नई ऊर्जा का स्रोत है।”
आस्था का संगम
पूरे आयोजन में न सिर्फ बंगाली समाज, बल्कि बीकानेर के अन्य समुदायों के लोग भी सम्मिलित हुए। सभी ने एक स्वर में माँ दुर्गा से सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।
कहानी केवल उत्सव की नहीं, भावनाओं की भी
अष्टमी पूजन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखने का माध्यम भी है। यहाँ हर भक्त अपनी भावनाएँ लेकर आता है और माँ दुर्गा से शक्ति एवं आशीर्वाद प्राप्त करता है।
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